Reported by Sanjay Panday
परिजनों के अनुसार, मखड़ू उरांव रोज की तरह सुबह जंगल गए थे, लेकिन देर शाम तक घर नहीं लौटे. उनके मवेशी तो वापस आ गए, पर वे नहीं आए. देर रात परिवार और ग्रामीणों ने खोजबीन शुरू की, और रात 9 बजे जंगल में उनका शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला. शव के आसपास हाथी के पैरों के निशान भी मिले.
घटना की जानकारी मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर गढ़वा सदर अस्पताल भेजा गया.
ग्रामीणों में इस घटना के बाद भारी भय और आक्रोश है. लोगों का कहना है कि हाथियों का झुंड कई दिनों से इलाके में सक्रिय है और फसलों, घरों और जान-माल को नुकसान पहुंचा रहा है। ग्रामीणों ने वन विभाग की “हाथी भगाओ टीम” की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि कार्रवाई नाकाफी है.
सूत्रों के मुताबिक, 2025 में अब तक रंका वन क्षेत्र में हाथियों के हमले से 11 मौतें हो चुकी हैं. ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन से मांग की है कि पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा दिया जाए और हाथियों को लेकर स्थायी समाधान निकाला जाए.
