पलामू: 26 जनवरी 2021 दिन मंगलवार को देश के राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर जब पूरा देश गणतंत्र की 72 वीं वर्षगांठ मना रहा था और उसी वक्त किसान आंदोलन की आड़ में देश के तथाकथित नेताओं और कुछ अवसरवादी किसान संगठनों में शामिल देशद्रोहियों के द्वारा जो उपद्रव और दंगा फैलाने की कोशिश की गई वह अत्यंत निंदनीय और कठोर दंडनीय है.
हम सब 400 घायल पुलिस जवानों के प्रति सहानुभूति रखते हुए जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं, साथ ही साथ दिल्ली पुलिस को अदम्य साहस और धैर्य के लिए साधुवाद देते हैं जिन्होंने कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाया जिससे सुरक्षा बलों के दामन में दाग लगे.
हम सब जानते हैं कि हमारे सुरक्षा बलों में वो ताकत और साहस है कि अगर उस दिन वह चाहती तो उन दंगाइयों और देशद्रोहियों को नेस्तनाबूद कर देती. मगर ऐसा ना कर सुरक्षाबलों ने अपने आप पर जख्म सहकर सच्चे किसानों के प्रति समर्पण का परिचय दिया.
अब जरूरत है उस घटना मे शामिल तमाम लोगों को ऐसी सजा दी जाए की यमराज भी कांप जाए.
हम सब जीवन प्रारंभ से ही यह जानते व मानते आए हैं की इस देश में सविधान और झंडा से ऊपर कोई नहीं है और आज आजादी के 75 वर्षों के बाद भी झंडे का अपमान किसी भी सूरत में क्षम नहीं होना चाहिए.
साथ ही साथ उक्त दिन हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई भी सूद समेत घटना के जिम्मेदार लोगों से वसूल कर सरकारी कोष में जमा कराई जाए.
हम उन तमाम किसान संगठनों को बधाई देते हैं जो उक्त घटना के बाद आहत होकर चले जा रहे हैं.
अब देश और किसान के साथ आम आवाम के हित में भी यही एक रास्ता है कि आंदोलन को पूर्णतः समाप्त कर सरकार के साथ मेज वार्ता की जाए, मगर किसानों के साथ ना कि दलालों के साथ क्योंकि हम सब यह भली-भांति जानते हैं जो सच्चा किसान है वह आज भी खेतों में है और जो किसानों का चोला ओढ़कर हिंसक आंदोलन कर रहे हैं उनका देश और संविधान के प्रति कोई आस्था नहीं है.
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