पलामू: आज से ठीक 1 वर्ष पूर्व 29 दिसंबर 2019 को हेमंत सोरेन जी के नेतृत्व में यूपीए सरकार का गठन झारखंड राज्य में हुआ था मगर काफी दुख और अफसोस होता है जब वर्तमान सरकार के 1 वर्ष के कार्यकाल का आकलन करें तो यह जनता से जुड़े मुद्दे पर औसत दर्जे को भी नहीं छु पाई.
करोना कॉल वर्तमान सरकार को अपनी नाकामी छुपाने का तो अवसर प्रदान किया ही मगर शेष महीनों में भी सरकार की सकारात्मक सोच कहीं नजर नहीं आई. आज उसी का परिणाम है कि 1 वर्ष के कार्यकाल में नक्सली घटनाएं, अपराधिक घटनाएं, दुष्कर्म की घटनाएं, अफसरशाही और बिचोलियावाद में बेतहाशा वृद्धि हुई और आम आवाम से जुड़ी सुविधाओं के साथ अमन चैन में काफी गिरावट आई.
जिस तरह भारत बंदी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री होते हुए भी बंदी का अपील करना सरकार की मंशा को दर्शाता है और सरकार के मंत्रियों द्वारा किसानों के मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहाते हुए धान क्रय पर बेतुका बयान देना,किसान से जुड़ी योजना को बंद करना दोहरे चरित्र को उजागर करता है.
आज 1 वर्ष के कार्यकाल में भी बोर्ड / निगमों और 20 सूत्री कमेटी का गठन ना करना, जिलों का प्रभार मंत्रियों को ना देना, जिलों में विकास योजनाओं की समीक्षा बैठकों का कम होना विकास के प्रति सरकार की मंशा को उजागर करता है.
कोरोना और खजाना खाली का रोना रोकर यह सरकार अपना पूरा ध्यान ट्रांसफर/पोस्टिंग पर केंद्रित करते हुए गठबंधन के सहयोगी को खुश करने में पूरा 1 वर्ष गुजार दी.
बावजूद हम आशावादी लोग आने वाले वर्षों में मुख्यमंत्री समेत यूपीए के सभी मंत्रियों से उम्मीद करते हैं की आगामी समय में झारखंड के सवा तीन करोड़ लोगों से किए वादों को पूरा करने के साथ अपने घोषणा पत्र में किए वायदे को पूरा करते हुए गत 1 वर्ष के गलतियों को सुधारने का काम करेगी.
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