पलामू : राज्य के पूर्वमंत्री के ०एन० त्रिपाठी ने राज्य सरकार को आडे हाथ लेते हुए कहा कि रघुवर दास की झारखंड की राज्य सरकार ने करीब 20 लाख एकड़ गैर- मजरुआ जमीन को लैंड बैंक में डाल दिया है जो बर्बरतापूर्ण व अन्यायपूर्ण है.
उन्होंने राज्य सरकार व मुख्य मंत्री से पूछा है कि आखिर लैंड बैंक की आवश्यकता आपको क्यों पड़ रही हैं ?उन्होंने कहा कि इस लैंड बैंक को आप ध्वस्त किजिए, जो गाँव की गैर-मजरूआ जमीन है, वो सरकार की जमीन कदापि नहीं हो सकती हैं. क्योंकि सन् 1947 के पूर्व संपूर्ण जमीन वहाँ के जमीनदारों, वहाँ के रैयतों का था.
जब यदि वो जमीन बन्दोबस्त नहीं हुआ है तो वह जमीन गाँव वालों के सार्वजनिक उपयोग के लिए जैसे चारागाह, शादी-विवाह एवं सार्वजनिक इस्तेमाल इत्यादि के लिए है.
सरकार उन जमीनों को कब्जा करके अपने नाम से वह जमीन जमीन बड़े उद्योगपतियों को गाँव वालों का जमीन छिनकर नहीं दे सकती हैं. इससे हर गाँव में आक्रोश उत्पन्न होगा और अंततः सरकार समाप्त हो जाएगा.
मै राज्य सरकार के मुख्यमंत्री से मांग करता हूं, जो लैंड बैंक की प्रथा (परम्परा) सरकार ने जो चलाई है उसे ध्वस्त करें. आप गाँव वालों के जमीन छिनकर के और जमीन को अपने नाम से एवं सरकार के नाम से कर लेने की प्रथा को आप यथाशीघ्र व अविलम्ब हटाएँ. लोगों के गैर-मजरूआ जमीन का रशीद काटकर उसका आप रेंट ले ताकि लोग अपना जमीन अपने पास रख सके.
उन्होंने राज्य सरकार व मुख्य मंत्री से पूछा है कि आखिर लैंड बैंक की आवश्यकता आपको क्यों पड़ रही हैं ?उन्होंने कहा कि इस लैंड बैंक को आप ध्वस्त किजिए, जो गाँव की गैर-मजरूआ जमीन है, वो सरकार की जमीन कदापि नहीं हो सकती हैं. क्योंकि सन् 1947 के पूर्व संपूर्ण जमीन वहाँ के जमीनदारों, वहाँ के रैयतों का था.
जब यदि वो जमीन बन्दोबस्त नहीं हुआ है तो वह जमीन गाँव वालों के सार्वजनिक उपयोग के लिए जैसे चारागाह, शादी-विवाह एवं सार्वजनिक इस्तेमाल इत्यादि के लिए है.
सरकार उन जमीनों को कब्जा करके अपने नाम से वह जमीन जमीन बड़े उद्योगपतियों को गाँव वालों का जमीन छिनकर नहीं दे सकती हैं. इससे हर गाँव में आक्रोश उत्पन्न होगा और अंततः सरकार समाप्त हो जाएगा.