दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट(SC) ने झारखंड सरकार द्वारा आयोजित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की 2010 की भर्ती प्रक्रिया को अवैध और असंवैधानिक घोषित कर दिया है. शीर्ष अदालत के इस फैसले से नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया निरस्त हो गयी है. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को छह महीने में उक्त पदों के लिए नया विज्ञापन जारी करने और नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया कि उम्मीदवारों को उनकी बात सुनने का अवसर दिये बिना बर्खास्त करने का फैसला सही है.
यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो इसे रद्द किया जा सकता: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से की गयी नियुक्तियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता, भले ही उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी नियुक्ति रद्द करने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गयी हो. यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है, भले ही व्यक्ति सेवा में शामिल हो गया हो.
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया कि उम्मीदवारों को उनकी बात सुनने का अवसर दिये बिना बर्खास्त करने का फैसला सही है.
यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो इसे रद्द किया जा सकता: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असंवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से की गयी नियुक्तियों को संरक्षित नहीं किया जा सकता, भले ही उम्मीदवारों ने वर्षों तक काम किया हो और उनकी नियुक्ति रद्द करने से पहले उनकी बात नहीं सुनी गयी हो. यदि नियुक्ति प्रक्रिया अमान्य है तो नियुक्तियों को रद्द किया जा सकता है, भले ही व्यक्ति सेवा में शामिल हो गया हो.
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