अभाविप का भी मिला समर्थन, व्यवस्था पर लगाए गंभीर आरोप
गंभीर सवाल...क्या मौत का इंतजार कर रही सरकार, क्यूं नहीं वादों को पहना रही अमलीजामा ?
चतरा : चतरा में विद्यालय प्रबंधन व व्यवस्था के मनमाने और नकारात्मक रवैये के विरुद्ध स्कूली छात्राओं ने मोर्चा खोल दिया है. स्कूल के जर्जर भवन और विद्यालय में मूलभूत सुविधाओं के घोर अभाव से नाराज छात्राओं ने व्यवस्था के विरुद्ध हल्ला बोलते हुए रैली निकालकर जमकर हंगामा किया. इस दौरान छात्राओं ने इटखोरी प्रखंड कार्यालय का भी घेराव करते हुए जमकर नारेबाजी की. मामला जिले के इटखोरी प्रखंड मुख्यालय में संचालित सबसे पुराने परियोजना बालिका उच्च विद्यालय से जुड़ा है.
प्रखंड कार्यालय का घेराव व हंगामे के बाद मौके पर धरने पर बैठी छात्राओं ने प्रखंड प्रशासन के साथ-साथ जिला प्रशासन और सरकार पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं. छात्राओं के इस आंदोलन को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने भी अपना समर्थन दे दिया है. अभाविप कार्यकर्ता भी झंडा और बैनर लेकर छात्राओं के साथ प्रखंड कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए हैं। छात्राओं का आरोप है कि लगभग 49 वर्ष पूर्व 1974 में प्रखंड क्षेत्र में निवास करने वाली बच्चियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के नियत से विद्यालय भवन का निर्माण हुआ था. लेकिन उसके बाद से अब तक ना तो विद्यालय भवन की मरम्मत ई हुई है और ना ही किसी प्रकार का जीर्णोद्धार। जिसके कारण विद्यालय की छत टूट-टूट कर गिरने लगी है. इतना ही नहीं विद्यालय में छात्राओं के लिए शौचालय तक की भी व्यवस्था नहीं है. एक पुराना जर्जर शौचालय है भी तो उसमें दरवाजा तक नहीं है.
छात्राओं का आरोप है कि विद्यालय में चारदीवारी नहीं रहने के कारण वहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है. यदा-कदा छोटे-मोटे भवन रिपेयरिंग का काम भी होता है तो उसे असामाजिक तत्व के लड़कों के द्वारा तोड़ दिया जाता है. जिससे आज विद्यालय में पढ़ने वाली करीब 400 छात्राओं का ना सिर्फ भविष्य अंधकार में है बल्कि जान भी खतरे में है. कई बार विद्यालय भवन का छत टूट कर गिरने से कई छात्राएं भी घायल हो चुकी है. बावजूद ना तो आज तक स्कूल प्रबंधन के कान पर जु रेंगा है और ना ही प्रखंड प्रशासन और जिला प्रशासन के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने ही छात्राओं की सुध ली है.
दसवीं कक्षा की छात्रा अराधना कुमारी ने सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि सरकार और उसके नुमाइंदों के साथ-साथ नेता एक और महिला सशक्तिकरण की बात करते है. वहीं दूसरी ओर महिलाओं के उत्थान की दिशा में कोई सार्थक पहल नहीं की जाती. चुनाव के दौरान नेता और सरकार बिजली मुफ्त देंगे व अन्य घोषणाएं करती है. लेकिन किसी के द्वारा शिक्षा सुदृढ़ीकरण और स्कूलों को दुरुस्त करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता. छात्राओं के अनुसार विद्यालय का भवन तो जर्जर है ही यहां शिक्षकों का भी घोर अभाव है. विद्यालय के बगल में जर्जर गंदी नालिया है. जिससे मच्छर का प्रकोप बना रहता है. छात्राओं के गंभीर बीमारियों के चपेट में आने का भय बना रहता है. स्कूल कैंपस से जर्जर बिजली का तार गुजरता है. जिसके कारण बच्चों का मानसिक विकास तो दूर शारीरिक विकास भी बाधित है. जिसकी शिकायत दर्जनों बार शिक्षा विभाग के अलावा प्रखंड प्रशासन से लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों से की गई है. इतना ही नहीं जनप्रतिनिधियों से भी छात्राओं ने जर्जर भवन के जीर्णोद्धार की गुहार लगाई थी. लेकिन किसी ने इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है.
ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि क्या सरकार और जनप्रतिनिधि विद्यालय में किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं. छात्राओं ने कहा कि समाज से लड़कर किसी तरह विद्यालय तो पहुंचती हैं, लेकिन यहां उन्हें शिक्षा मिलने के बजाय भ्रष्ट व्यवस्था से उत्पन्न परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अगर यही स्थिति रही तो यहां पढ़ने वाली एक भी छात्रा भविष्य में कुछ बेहतर नहीं कर पाएगी. वही छात्राओं के आंदोलन को समर्थन देने वाले अभाविप के छात्र नेताओं ने कहा है कि जब तक जर्जर भवन के जीर्णोद्धार व छात्राओं के समक्ष उत्पन्न समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं निकल जाता तबतक आंदोलन और धरना जारी रहेगा. अभाविप ने मौके पर उपायुक्त को बुला कर छात्राओं की समस्या का समाधान कराने की मांग की है. हालांकि छात्राओं के आंदोलन और धरने के सूचना के बावजूद अबतक मौके पर कोई भी अधिकारी उनका सुध लेने नहीं पहुंचा है. जिससे छात्राओं और छात्र संगठनों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
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