लेटेस्ट

Latest

गढ़वा का बंशीधर मंदिर शुद्ध सोने की है, जानिए भगवान कृष्ण की जीवंत प्रतिमा की कहानी

Garhwa's Banshidhar temple is of pure gold, know the story of the living statue of Lord Krishna

19 August 2022

/ by Uday Bharat

 


गढ़वाः एक ऐसा मंदिर जहां स्थापित प्रतिमा की आंखों में ऐसा तेज जो आपके मन को मोह ले, उसे जिधर से देखो लगे साक्षात भगवान आप को ही देख रहे हैं. हम बात कर रहे हैं झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर गढ़वा के बंशीधर मंदिर की. यह मंदिर झारखंड यूपी सीमा पर नगर उंटारी जिसे हम बंशीधर नगर के नाम से भी जानते हैं वहां स्थित है. बंशीधर मंदिर में 32 मन (1280 किलो) शुद्ध सोने की भगवान कृष्ण की प्रतिमा है. जिसके दर्शन के लिए देश भर से लोग पहुंचते है.

बंशीधर नगर को योगेश्वर भूमि और दूसरा मथुरा वृंदावन कहा जाता है. बंशीधर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की मूर्ति की कीमत करीब 2500 करोड़ रुपये हैं. कहा जाता है कि बंशीधर मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की प्रतिमा विश्व में ऐसी पहली प्रतिमा है जो ठोस 32 मन सोने की बनी हुई है. मंदिर संचालन समिति से जुड़े हुए धीरेंद्र चौबे ने बताया कि भगवान कृष्ण की आंखें अलौकिक हैं. यह नौका के समान है, आप जिधर से भी देखें लगेगा कि भगवान आपको देख रहे हैं. वे बताते हैं कि भगवान अपनी इच्छानुसार यहां विराजमान हुए हैं. शायद यह पहला मामला है जहां पहले से प्रतिमा स्थापित हुई है. उसके बाद मंदिर बनाया गया है.

कुंअर भगवान कृष्ण की बड़ी भक्त थी. 200 वर्ष पहले उन्हें सपना आया था. जिसके बाद मंदिर से 20 किलोमीटर दूर यूपी के महुअरिया पहाड़ से भगवान कृष्ण की मूर्ति मिली थी. मूर्ति को हाथी से राजमहल लाया जा रहा था, मगर राजमहल के बाहर प्रतिमा लाने वाला हाथी बैठ गया था. जिसके बाद महल के गेट के बाहर प्रतिमा को स्थापित किया गया. बाद में काशी से राधा की प्रतिमा स्थापित की गई. बंशीधर नगर राजा सह मंदिर के प्रधान ट्रस्टी राज राजेश प्रताप देव ने बताया कि जन्माष्टमी के मौके पर यहां भव्य आयोजन किया जाता है. प्रत्येक वर्ष भागवत कथा के साथ-साथ जन्माष्टमी धूमधाम से मनाई जाती है. जिसमें वृंदावन मथुरा से कई विद्वान भाग लेते हैं.मुगल काल में पहाड़ पर छुपाई गई थी भगवान कृष्ण की प्रतिमाः ऐसी मान्यता है कि बंशीधर मंदिर में भगवान कृष्ण के दर्शन के बाद सारी मनोकामना पूर्ण होती है. बंशीधर मंदिर से जुड़ी यह भी कहानी है कि मुगल काल में आक्रमणकारियों से बचने के लिए किसी अज्ञात राजा ने मंदिर की इस प्रतिमा को छुपा दिया था. मंदिर के पुजारी हरेंद्र पंडित ने बताया कि शिवाजी काल में अज्ञात राजा ने पहाड़ी में इस प्रतिमा को छुपाया था. उन्होंने बताया कि राजमाता को स्वप्न आया था, जिसके बाद इस प्रतिमा को बरामद कर स्थापित किया गया है.

कैसे पहुंचा जा सकता है बंशीधर नगरः बंशीधर मंदिर झारखंड की राजधानी रांची से करीब 250 किलोमीटर दूर है. बंशीधर नगर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है. जबकि जिला मुख्यालय गढ़वा से लगभग 40 किलोमीटर दूर है. बंशीधर नगर से वाराणसी की दूरी 180 किलोमीटर, जबकि बिहार की राजधानी पटना से 275 किलोमीटर दूर है. यह इलाका छत्तीसगढ़ के सरगुजा से सटा हुआ है.

No comments

Don't Miss
© all rights reserved
made with by templateszoo